इसका मुख्यालय रायबरेली में ही स्थित है।
वाराणसी में विभिन्न कुटीर उद्योग कार्यरत हैं, जिनमें बनारसी रेशमी साड़ी, कपड़ा उद्योग, कालीन उद्योग एवं हस्तशिल्प प्रमुख हैं। बनारसी पान विश्वप्रसिद्ध है और इसके साथ ही यहां का कलाकंद भी मशहूर है। वाराणसी में बाल-श्रमिकों का काम जोरों पर है।
महाकुंभ भीड़ के चलते प्रयागराज-वाराणसी नेशनल हाईवे पर अस्थायी रूप से टोल फ्री, भदोही प्रशासन का बड़ा फैसला
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कानपुर (जागरण संवाददाता)। वैसे तो कानपुर में सात घंटाघर हैं, लेकिन सेंट्रल रेलवे स्टेशन के पास स्थित घंटाघर पहला ऐसा घंटाघर है, जिसे सार्वजनिक हित को देखते हुए बनाया गया था। इस स्थान का संबंध केवल घड़ी से ही नहीं है, बल्कि अंग्रेजी शासन काल के दौरान देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाने के उद्देश्य से था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसी स्थान से गणपति पूजा की शुरुआत की थी।
तजि अभिमान मेटिआपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै। ‘
रैदास जी के समय के पालन की प्रवृत्ति तथा उनके मधुर व्यवहार के कारण उनके संपर्क में आने वाले सभी व्यक्ति उनसे प्रसन्न रहते थे।
इनके एक दोहे में कहा गया है कि ‘नीचे से प्रभु आँच कियो है कह रैदास चमारा’
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कहां जाता है कि वे अनपढ़ थे किंतु ‘संत साहित्य के ग्रंथ’ और’ गुरु ग्रंथ साहिब’ में इनके पद पाए जाते हैं।
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